पंजाब सरकार ने बाल भिक्षावृत्ति को जड़ से खत्म करने के लिए एक बेहद सराहनीय कदम उठाया है। ‘प्रोजेक्ट जीवनज्योत-2’ नाम की इस योजना के जरिए अब तक 367 बच्चों को बचाया जा चुका है, जिनमें से 350 को उनके परिवारों को सौंप दिया गया है। वहीं 183 बच्चों को स्कूलों में दाखिल करवाया गया और 17 बच्चों को बाल केंद्रों में रखा गया है।
यह जानकारी पंजाब सरकार की महिला एवं बाल विकास मंत्री डॉ. बलजीत कौर ने दी। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री भगवंत मान और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल की सोच से प्रेरित होकर यह योजना शुरू की गई है।
क्या है प्रोजेक्ट जीवनज्योत-2?
यह योजना बाल भिक्षावृत्ति और बच्चों के शोषण को रोकने के लिए शुरू की गई है। इसका मकसद यह है कि पंजाब में कोई भी बच्चा अब सड़कों पर भीख मांगता न दिखे। अगर कोई व्यक्ति बच्चों से भीख मंगवाता है या उनका शोषण करता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
अब तक क्या हुआ इस योजना के तहत?
- 753 छापेमारी अभियान चलाए गए
- 367 बच्चे बचाए गए
- 350 बच्चों को परिवारों से मिलाया गया
- 17 बच्चे जिनके मां-बाप नहीं मिले, उन्हें बाल गृह भेजा गया
- 183 बच्चों को स्कूलों में भर्ती कराया गया
- 13 छोटे बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्रों में भेजा गया
- 30 बच्चों को 4000 रु./माह की स्पॉन्सरशिप स्कीम में शामिल किया गया
- 16 बच्चों को 1500 रु./माह की पेंशन योजना दी गई
अब बच्चों के लिए DNA टेस्ट भी होगा
सरकार ने एक नया और जरूरी कदम उठाया है। अगर कोई वयस्क किसी बच्चे को साथ लेकर भीख मंगवाता है और यह साफ नहीं है कि वे माता-पिता हैं या नहीं, तो उनका DNA टेस्ट कराया जाएगा। जब तक रिपोर्ट नहीं आती, बच्चा बाल गृह में सरकार की देखरेख में रहेगा।
अगर टेस्ट से पता चलता है कि वह व्यक्ति उस बच्चे का असली अभिभावक नहीं है, तो उस पर बाल तस्करी और शोषण के केस में कड़ी सजा दी जाएगी। यह सजा 5 साल से लेकर आजीवन कारावास तक हो सकती है।
अभिभावकों को चेतावनी, बार-बार गलती पर सख्त कार्रवाई
अगर कोई अभिभावक अपने बच्चे से जबरदस्ती भीख मंगवाता है, तो पहली बार चेतावनी दी जाएगी। लेकिन अगर दोबारा ऐसा करते हुए पकड़ा गया, तो उसे “अनफिट पैरेंट” घोषित किया जाएगा और बच्चा सरकार की देखरेख में रहेगा।
प्रोजेक्ट जीवनज्योत-2 क्यों है ज़रूरी?
डॉ. बलजीत कौर ने कहा, “जब हम छोटे बच्चों को सड़कों पर भीख मांगते देखते हैं, तो यह न सिर्फ उनकी गरिमा को ठेस पहुंचाता है, बल्कि हमारे समाज और राज्य की छवि पर भी सवाल खड़े करता है।”
उन्होंने बताया कि इस योजना से सिर्फ बच्चों को बचाया नहीं जा रहा, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि वे फिर से सड़कों पर न आएं। हर 3 महीने में चेक किया जाता है कि बच्चे स्कूल जा रहे हैं या नहीं।
हालांकि, सरकार के प्रयासों के बावजूद 57 बच्चे फिर से स्कूल या घर से गायब हो गए हैं, जिससे ये शक पैदा होता है कि कहीं ये बच्चे भीख माफियाओं या तस्करों के शिकार तो नहीं हो गए?
हाल ही में की गई कार्रवाई
बीते दो दिनों में ही 18 जगह छापेमारी कर 41 बच्चों को बचाया गया है। इनमें से कई बच्चे दिव्यांग या शारीरिक शोषण के शिकार भी पाए गए हैं। सरकार ने उन्हें हेल्थ बीमा भी दिया है ताकि उनका इलाज सही से हो सके।
पंजाब बना देश का पहला राज्य
डॉ. बलजीत कौर ने दावा किया कि पंजाब देश का पहला राज्य है जिसने केंद्र सरकार के निर्देशों का इंतजार किए बिना अपने स्तर पर ये ठोस कदम उठाया है। यह योजना भिक्षावृत्ति अधिनियम, किशोर न्याय अधिनियम और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस को ध्यान में रखकर चलाई जा रही है।
सरकार का साफ संदेश
सरकार ने साफ कर दिया है —
“अगर कोई पंजाब में बच्चों को भीख मांगने के लिए मजबूर करेगा, तो उसे सख्त सज़ा भुगतनी पड़ेगी।”
अब वक्त आ गया है कि हम सब इस मिशन का हिस्सा बनें और बच्चों का बचपन सुरक्षित रखें।