Delhi-NCR में बढ़ता Pollution: हर साल विकराल हो रही है Air Crisis, जानिए क्या कहते हैं Experts और क्या हैं इसके solutions

सर्दी का मौसम शुरू होते ही दिल्ली-NCR की हवा फिर से जहर बनने लगी है। हर साल की तरह इस बार भी वायु प्रदूषण (Air Pollution) चर्चा में है। सड़कों पर धुंध छा जाती है, सांस लेना मुश्किल हो जाता है, और अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ने लगती है। लेकिन सवाल यह है कि आखिर ये समस्या हर साल इतनी बड़ी क्यों हो जाती है और इसका हल क्या है?

हर साल बढ़ रही है समस्या

दिल्ली और एनसीआर (NCR) में वायु प्रदूषण अब एक स्थायी समस्या बन चुका है। सर्दी के आते ही प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। सरकारें और एजेंसियां हर साल कुछ हफ्तों के लिए शॉर्ट टर्म प्लान बनाती हैं, जैसे कि निर्माण कार्यों पर रोक या स्कूल बंद करना, लेकिन प्रदूषण का असली समाधान लॉन्ग टर्म प्लानिंग से ही संभव है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के पूर्व अपर निदेशक डॉ. एस.के. त्यागी ने इस विषय पर कहा कि अगर सरकारें और आम लोग मिलकर स्थायी कदम नहीं उठाएंगे, तो आने वाले समय में हालात और गंभीर हो सकते हैं।

प्रदूषण मापने के मानक पुराने हो चुके हैं

डॉ. त्यागी के अनुसार, भारत में वायु प्रदूषण को मापने के जो मानक हैं, वे काफी पुराने हैं।

  • वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के मानक साल 2009 में बनाए गए थे।
  • वायु प्रदूषण के मानक 2015 में तय किए गए थे।

जबकि अब हवा में प्रदूषण के नए-नए तत्व मिल रहे हैं, इसलिए इन मानकों में तुरंत बदलाव करने की जरूरत है।

वीओसी (VOC) क्या है और क्यों है यह खतरनाक?

डॉ. त्यागी ने बताया कि अब वायु प्रदूषण के माप में वीओसी (Volatile Organic Compounds) को भी शामिल करना चाहिए।

ये ऐसे रासायनिक तत्व हैं जो कमरे के तापमान पर हवा में वाष्पित हो जाते हैं। ये हवा में मौजूद होकर ग्राउंड लेवल ओज़ोन और सेकेंडरी ऑर्गेनिक एयरोसोल (SOA) बनाते हैं।

  • पीएम 5 (PM 2.5) में इनका योगदान लगभग 30 प्रतिशत तक होता है।
  • कोविड-19 के समय जब बाकी प्रदूषण कम हो गया था, तब भी वीओसी का स्तर कम नहीं हुआ था।
  • अमेरिका में 90 से ज्यादा मॉनिटरिंग सेंटर हैं जो वीओसी को ट्रैक करते हैं, लेकिन भारत में अब तक शुरुआत भी नहीं हुई है।

वीओसी के नुकसान

  • सिरदर्द, आंखों में जलन और सांस की तकलीफ हो सकती है।
  • लंबे समय तक एक्सपोजर से किडनी और लिवर को नुकसान हो सकता है।
  • अस्थमा के मरीज, बच्चे और बुजुर्ग इसके प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं।
  • घरों के अंदर वीओसी की मात्रा अक्सर बाहर से ज्यादा होती है।

प्रदूषण के मुख्य कारण

डॉ. त्यागी ने बताया कि दिल्ली-NCR में प्रदूषण के कई स्रोत हैं:

  1. वाहनों से निकलने वाला धुआं (30-40%)
  2. औद्योगिक उत्सर्जन (20%)
  3. कूड़ा और प्लास्टिक जलाना (15-20%)
  4. पराली का धुआं (3-5%)
  5. निर्माण कार्यों की धूल
  6. ईंधन का जलना और रसोई से निकलने वाला धुआं

इन सभी को नियंत्रित किए बिना वायु गुणवत्ता में सुधार संभव नहीं है।

समाधान: क्या किया जा सकता है?

सरकारी और सामूहिक स्तर पर:

  1. सार्वजनिक परिवहन (Public Transport) को बढ़ावा देना चाहिए।
  2. इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) के इस्तेमाल को प्रोत्साहित किया जाए।
  3. औद्योगिक उत्सर्जन पर सख्त निगरानी रखी जाए।
  4. निर्माण कार्यों को सर्दियों में सीमित किया जाए।
  5. कूड़ा जलाने पर सख्त कार्रवाई की जाए।

व्यक्तिगत स्तर पर:

  1. अपनी कार की जगह साइकिल या पब्लिक ट्रांसपोर्ट का प्रयोग करें।
  2. सोलर एनर्जी और क्लीन फ्यूल का इस्तेमाल बढ़ाएं।
  3. घरों को ऐसे डिजाइन करें कि प्राकृतिक रोशनी और हवा आ सके।
  4. फूड वेस्ट और कचरे को जलाने से बचें।
  5. आसपास हरियाली बढ़ाएं, पेड़ लगाएं।

एक्सपर्ट की राय में जरूरी बदलाव

  • वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में वीओसी को शामिल किया जाए।
  • पुराने मानकों को अपडेट किया जाए ताकि हवा की असली स्थिति पता चल सके।
  • लोगों को प्रदूषण कम करने के लिए जागरूक किया जाए।

दिल्ली-NCR में प्रदूषण अब सिर्फ पर्यावरण की नहीं, बल्कि जनस्वास्थ्य (Public Health) की सबसे बड़ी समस्या बन चुका है। हर साल सर्दियों में बढ़ते स्मॉग और जहरीली हवा से राहत पाने के लिए सरकार, उद्योग और आम जनता — सभी को मिलकर काम करने की जरूरत है।

सिर्फ कुछ दिनों के शॉर्ट टर्म एक्शन से नहीं, बल्कि लॉन्ग टर्म पॉलिसी, नए वैज्ञानिक मानक और नागरिकों की जिम्मेदारी से ही हवा फिर से साफ हो सकती है।

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