पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने शुक्रवार को बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि राज्य सरकार बाग्गा कलां और अखाड़ा गांव में लग रहे Compressed Biogas (CBG) प्लांट्स की पूरी जांच करवाएगी। इसके लिए एक पर्यावरण विशेषज्ञ समिति (Environmental Expert Committee) बनाई जा रही है, जो इन प्लांट्स के हर पहलू का अध्ययन करेगी और तय समय में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि “गाँव वालों की मर्जी के बिना कुछ भी नहीं होगा” और ये भी भरोसा दिलाया कि ये प्लांट पूरी तरह pollution-free रहेंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर कोई भी व्यक्ति या कंपनी नियमों का उल्लंघन करेगा तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
समिति में कौन-कौन होंगे?
सरकार की इस कमेटी में Punjab Pollution Control Board, तकनीकी और अकादमिक विशेषज्ञ, और गाँव के प्रतिनिधि शामिल होंगे। ये टीम गाँव में जाकर लोगों की बातें सुनेगी, उनकी शिकायतें नोट करेगी और साइट का निरीक्षण कर देखेगी कि प्लांट का असर क्या होगा।
CM ने दिया भरोसा
मान ने कहा कि जैसे लुधियाना के ही घुंगराली गाँव में CBG प्लांट गाँव की सहमति से लगाया गया और आज वह सस्टेनेबल डेवलपमेंट (Sustainable Development) का मॉडल बना हुआ है, वैसे ही बाग्गा कलां और अखाड़ा में भी काम गाँव वालों की सहमति से ही होगा।
क्यों उठी जांच की ज़रूरत?
कुछ ग्रामीणों ने आशंका जताई थी कि इन प्लांट्स से प्रदूषण, बदबू और सेहत पर असर हो सकता है। इसके बाद मुख्यमंत्री ने खुद हस्तक्षेप करते हुए कहा कि पारदर्शी तरीके से सब कुछ होगा और पहले जांच होगी, फिर आगे कदम उठाए जाएंगे।
क्या करेगी समिति?
- गाँव वालों से बात कर उनकी राय लेगी।
- प्लांट की तकनीकी और पर्यावरणीय रिपोर्ट बनाएगी।
- तय समय में सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी।
संदेश साफ है –
मुख्यमंत्री मान ने कहा, “हम चाहते हैं कि विकास हो, लेकिन वो ऐसा हो जो किसी की सेहत या वातावरण को नुकसान न पहुँचाए। ये प्लांट ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देंगे और राज्य के लिए फायदेमंद होंगे, लेकिन नियम तोड़ने की इजाज़त किसी को नहीं दी जाएगी।”
सीधी भाषा में कहें तो: सरकार ये सुनिश्चित करना चाहती है कि CBG प्लांट्स से सिर्फ फायदा हो, नुकसान नहीं। और सबसे अहम – गाँव वालों की राय के बिना कोई फैसला नहीं होगा।