पंजाब में चल रहे किसानों के विरोध और विपक्षी दलों की तीखी आलोचना के बीच मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शनिवार को साफ कहा कि उनकी सरकार किसानों और आम लोगों से खुलकर बात करेगी और उनकी राय के मुताबिक ही आगे कदम उठाएगी।
चमकौर साहिब (रूपनगर) के गुरुद्वारा कटालगढ़ साहिब में अपनी पत्नी और बेटी के साथ अरदास करने पहुंचे मान ने मीडिया से बातचीत में कहा – “ये तानाशाही नहीं है। हम वही करेंगे जो लोग और किसान चाहते हैं।”
क्या है मामला?
पंजाब कैबिनेट ने 2 जून को लैंड पूलिंग पॉलिसी को मंजूरी दी थी। इसके तहत राज्य सरकार 21 शहरों और कस्बों में करीब 65,533 एकड़ जमीन अधिग्रहित करके इंडस्ट्रियल और रेसिडेंशियल ज़ोन बनाने की योजना बना रही है। इसे 1966 के बाद से पंजाब सरकार द्वारा जमीन का सबसे बड़ा अधिग्रहण माना जा रहा है।
लेकिन, योजना के लॉन्च होने के बाद से अब तक सिर्फ 115 ज़मीन मालिक (लुधियाना से 15 और मोहाली से लगभग 100) ही इस स्कीम को अपनाने आगे आए हैं। स्कीम 30 सितंबर तक खुली है।
विरोध क्यों हो रहा है?
किसान संगठन और विपक्षी दल – कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल (SAD) और बीजेपी – इस पॉलिसी को “किसान विरोधी और अव्यवहारिक” बता रहे हैं। इतना ही नहीं, इसे पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में भी चुनौती दी गई है।
किसानों का कहना है कि यह पॉलिसी कहीं न कहीं 2020 में केंद्र सरकार की ओर से लाई गई तीन कृषि कानूनों जैसी है, जिन्हें सालभर के संघर्ष के बाद रद्द करना पड़ा था।
सरकार ने क्या बदलाव किए?
विरोध को देखते हुए AAP सरकार ने 22 जुलाई को लैंड पूलिंग पॉलिसी में बदलाव का ऐलान किया।
- जो किसान लैंड पूलिंग अपनाएंगे, उन्हें जमीन विकसित होने तक ₹1 लाख सालाना जीविका भत्ता (Livelihood Allowance) मिलेगा। यह राशि पहले की सरकारों के ₹20,000 से पांच गुना ज्यादा है।
- हर 1 कनाल जमीन के बदले किसानों को 125 गज रेसिडेंशियल प्लॉट और 25 गज कमर्शियल प्लॉट मिलेगा।
- किसानों को जमीन की खरीद-फरोख्त पर कोई रोक नहीं होगी। वे किसी भी समय अपनी जमीन बेच या खरीद सकेंगे।
इसके बावजूद किसानों ने इन बदलावों को लेकर असंतोष जताया है और कहा कि पॉलिसी में उनकी राय को गंभीरता से शामिल किया जाए।
CM मान का नया ऐलान – “हम संवाद करेंगे”
मौजूदा विरोध को शांत करने के लिए CM मान ने पहली बार नरम रुख दिखाते हुए कहा कि अब सरकार खुद किसानों और लोगों के पास जाएगी।
उन्होंने कहा – “आने वाले दिनों में हम किसानों और आम लोगों से मीटिंग करेंगे। जो भी किसान कहेंगे, वही करेंगे। हम तानाशाह नहीं हैं।”
क्यों ज़रूरी है यह बातचीत?
- किसानों के विरोध के कारण पॉलिसी पर अमल अटक गया है।
- विपक्ष इस मुद्दे को बड़ा राजनीतिक हथियार बना रहा है।
- हाई कोर्ट में केस लंबित होने से कानूनी पेंच भी खिंच सकते हैं।
पंजाब की यह लैंड पूलिंग पॉलिसी राज्य के विकास के लिए अहम प्रोजेक्ट माना जा रहा है, लेकिन किसानों के गुस्से और विपक्ष की आपत्तियों ने इसे घेर लिया है। अब देखना होगा कि CM मान का यह ‘संवाद’ वाला कदम माहौल को शांत करता है या विरोध और तेज़ होता है।