9 दिन पहले पूरी Country में पहुंचा Monsoon, Delhi-NCR सहित Northwest India में झमाझम बारिश की उम्मीद

भारत में इस बार मानसून ने समय से 9 दिन पहले ही पूरे देश को कवर कर लिया है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने रविवार को जानकारी दी कि मानसून दिल्ली-एनसीआर, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा के बाकी बचे हिस्सों में भी पहुंच गया है।

आमतौर पर मानसून पूरे देश में 8 जुलाई तक पहुंचता है, लेकिन इस बार यह 29 जून को ही हर कोने में छा गया। ये बीते 25 सालों में केवल चौथी बार हुआ है जब दिल्ली-एनसीआर और उत्तर-पश्चिम भारत के बाकी हिस्सों में एक ही दिन मानसून पहुंचा हो। पिछली बार ऐसा 13 जुलाई 2021 को हुआ था, जबकि अब तक का सबसे जल्दी यह 16 जून 2013 को हुआ था—उसी दिन उत्तराखंड के केदारनाथ में बादल फटने और बाढ़ की भयानक घटना हुई थी।

इस साल मानसून ने 24 मई को केरल से शुरुआत की थी, जो कि सामान्य तारीख से 8 दिन पहले है। इसके बाद 37 दिनों में पूरे भारत को कवर कर लिया। आमतौर पर मानसून को पूरे देश में फैलने में करीब 38 दिन लगते हैं।

बारिश के आंकड़े और फसल पर असर

IMD के आंकड़ों के अनुसार, 29 जून तक देशभर में सामान्य से 8% ज्यादा बारिश दर्ज की गई है। खासकर उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में यह बढ़ोतरी ज्यादा रही है—यहां क्रमश: 37% और 24% ज्यादा बारिश हुई है। इससे जून महीने में बोआई (sowing) के काम को बढ़ावा मिला है।

हालांकि पूर्वोत्तर भारत और दक्षिणी हिस्सों में 16.7% और 1.7% बारिश की कमी रही है, लेकिन इसका खेती के कुल रकबे (acreage) पर कोई खास असर नहीं पड़ा है। कृषि मंत्रालय के अनुसार, 20 जून तक देशभर में खरीफ फसलों की बोआई 138 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई थी, जो पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 10% ज्यादा है (तब यह 125 लाख हेक्टेयर था)।

अगले 7 दिन भारी बारिश की संभावना

IMD ने अगले 7 दिनों के लिए चेतावनी दी है कि उत्तर-पश्चिम, मध्य, पूर्वी और उत्तर-पूर्वी भारत के कई हिस्सों में भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है। यह बारिश धान (paddy), गन्ना (sugarcane), कपास (cotton) जैसी खरीफ फसलों की अच्छी पैदावार में मददगार साबित हो सकती है।

जल्दी मानसून का मतलब ज्यादा बारिश नहीं होता

मौसम विभाग का कहना है कि मानसून के जल्दी या देर से शुरू होने या पूरे देश में जल्दी या देर से पहुंचने से कुल बारिश की मात्रा या उसके वितरण (distribution) पर कोई बड़ा फर्क नहीं पड़ता। लेकिन इसका असर फसलों की बोआई की टाइमिंग और सिंचाई के चक्र (irrigation cycle) पर जरूर पड़ता है। किसान मानसून की चाल देखकर ही फसलों के चुनाव और बोआई की प्लानिंग करते हैं।

जल्दी मानसून ने इस बार किसानों को राहत दी है और बोआई की प्रक्रिया समय से पहले शुरू हो गई है। हालांकि मौसम विभाग की भारी बारिश की चेतावनी को ध्यान में रखते हुए सतर्कता जरूरी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *