अगर आप रोज़ UPI से भुगतान करते हैं, तो आपके लिए एक अच्छी खबर है। हाल ही में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह कहा गया था कि 2,000 रुपये से ज़्यादा की UPI पेमेंट पर अब GST लिया जाएगा। इससे डिजिटल पेमेंट करने वालों में चिंता फैल गई थी।
लेकिन अब सरकार ने साफ कर दिया है कि यह पूरी तरह से गलत खबर है।
वित्त मंत्रालय और प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) ने कहा है कि 2,000 रुपये से अधिक के पर्सन-टू-मर्चेंट (P2M) UPI ट्रांजैक्शन पर कोई भी GST नहीं लगेगा।
दरअसल, जनवरी 2020 से ही इन ट्रांजैक्शन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) को शून्य कर दिया गया है। इसलिए किसी तरह के टैक्स की बात ही नहीं उठती।
डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए सरकार की बड़ी पहल
डिजिटल इंडिया मिशन को आगे बढ़ाते हुए केंद्र सरकार ने 2021 में एक विशेष इंसेंटिव स्कीम शुरू की थी, जिसे अब 31 मार्च 2026 तक बढ़ा दिया गया है। इस योजना पर सरकार 1,500 करोड़ रुपए खर्च करेगी।

इस योजना के तहत, जब ग्राहक रूपे डेबिट कार्ड या BHIM-UPI से 2,000 रुपये तक का पेमेंट करता है, तो दुकानदार को हर ट्रांजैक्शन पर 0.15% का इंसेंटिव दिया जाएगा। उदाहरण के तौर पर, 2,000 रुपये के ट्रांजैक्शन पर दुकानदार को करीब 3 रुपये सीधे उसके बैंक अकाउंट में मिलेंगे।
बैंकों को भी मिलेगा फायदा
सिर्फ दुकानदार ही नहीं, बैंक को भी ट्रांजैक्शन प्रोसेसिंग के लिए इंसेंटिव मिलेगा। सरकार बैंक द्वारा किए गए कुल दावों का 80% तुरंत देगी, जबकि बाकी 20% तभी मिलेगा, जब बैंक की टेक्नोलॉजी सेवाएं जैसे 99.5% अपटाइम और 0.75% से कम फेल्योर रेट जैसी शर्तें पूरी होंगी।
भारत बना रियल-टाइम ट्रांजैक्शन का ग्लोबल लीडर
ACI वर्ल्डवाइड की रिपोर्ट 2024 के अनुसार, 2023 में दुनियाभर में जितने भी रियल-टाइम पेमेंट्स हुए, उनमें 49% हिस्सा अकेले भारत का था। यूपीआई ने पिछले कुछ वर्षों में जबरदस्त ग्रोथ दिखाई है। वर्ष 2019-20 में जहां यूपीआई ट्रांजैक्शन 21.3 लाख करोड़ रुपये थे, वहीं मार्च 2025 तक यह आंकड़ा 260.56 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। P2M यानी व्यापारियों को किए गए लेनदेन भी अब 59.3 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच चुके हैं, जो बताता है कि भारत का डिजिटल भुगतान तंत्र कितनी तेजी से विकसित हो रहा है।