शिरोमणि अकाली दल से जुड़ी वरिष्ठ लीडरशिप ने बाबा बुढ्ढा साहिब के हैड ग्रंथी ज्ञानी रघुबीर सिंह के साथ कथित बदसलूकी, मानसिक प्रताड़ना और बेइज़्ज़ती को लेकर SGPC और पंथक संस्थाओं के रवैये पर नाराज़गी जताई है। पार्टी की लीडरशिप ने इसे बेहद शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए सख्त कदम उठाने की मांग की है।
पूर्व सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा, गोबिंद सिंह लोंगोवाल, पूर्व मंत्री बलदेव सिंह मान, जत्थेदार सुच्चा सिंह छोटेपुर, पूर्व विधायक सुरिंदर सिंह भुलेवाल राठां, सरदार बरजिंदर सिंह ब्राड़, चरणजीत सिंह ब्राड़ और तेजिंदर सिंह पन्नू समेत कई नेताओं ने साझा बयान में कहा कि ज्ञानी रघुबीर सिंह के साथ हुई हरकतें पंथ की गरिमा के खिलाफ हैं।
क्या हैं आरोप?
ज्ञानी रघुबीर सिंह के खिलाफ जो घटनाएं सामने आई हैं, उनमें शामिल हैं:
- स्टाफ में कटौती
- दी जा रही सुविधाओं का बंद होना
- छुट्टी लेने के लिए बार-बार अपमानजनक व्यवहार
- मानसिक तनाव का माहौल बनाना
- उन्हें जबरन कोर्ट का रुख़ करने पर मजबूर करना
हालांकि, पंथ की भावनाओं का सम्मान करते हुए ज्ञानी रघुबीर सिंह ने अदालत में दायर याचिका को वापस ले लिया, लेकिन लीडरशिप का कहना है कि ये सब दिखाता है कि उच्च पदों पर बैठे सेवक भी सुरक्षित नहीं हैं।
2 दिसंबर के बाद से हो रहा है ये सब?
लीडरशिप का दावा है कि 2 दिसंबर से ही यह बदले की भावना वाला माहौल बनाया गया है। उसी दिन एक ‘हुकमनामा’ जारी हुआ और तभी से सिंह साहिबान को लगातार मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। पहले ज्ञानी हरप्रीत सिंह को हटाया गया और फिर 26 दिनों के भीतर ज्ञानी रघुबीर सिंह और ज्ञानी सुल्तान सिंह को भी पद से हटा दिया गया।
SGPC प्रधान से भी अपील
नेताओं ने SGPC प्रधान हरजिंदर सिंह धामी से अपील की है कि वो अपनी जिम्मेदारी निभाएं और इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करवाएं। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में शामिल लोगों और उनके पीछे की ताक़तों के खिलाफ़ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
संगत और पंथ से एकजुट होने की अपील
शिरोमणि अकाली दल की लीडरशिप ने टकसाल, बुढ्ढा दल जैसी परंपरागत पंथक संस्थाओं और आम संगत से अपील की है कि अब समय आ गया है जब हमें अपनी संस्थाओं की रक्षा खुद करनी होगी। उन्होंने कहा कि संगत को आगे आकर इस तरह की बेइंसाफ़ी के खिलाफ एकजुट होना होगा और उच्च पदों की मर्यादा बनाए रखनी होगी।
यह विवाद एक बार फिर यह सवाल खड़ा करता है कि पंथ की बड़ी संस्थाओं में सेवा कर रहे सम्मानित सेवकों के साथ कैसा व्यवहार हो रहा है? अब सबकी निगाहें SGPC प्रधान और पंथक लीडरशिप पर हैं कि वो इस मामले में क्या कदम उठाते हैं।