संसद के मानसून सत्र में एक बार फिर गतिरोध देखने को मिल रहा है। विपक्षी गठबंधन INDIA के कुछ छोटे दलों ने संसद को सुचारू रूप से चलाने की अपील की, लेकिन उन्हें बड़ी पार्टियों से समर्थन नहीं मिला। पूरा मामला बिहार में वोटर लिस्ट के “स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन” (SIR) को लेकर खड़ा हुआ है, जिस पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्ष लगातार हंगामा कर रहा है।
छोटे दल बोले – संसद चलनी चाहिए, बड़े दल बोले – मुद्दा जरूरी है
मंगलवार सुबह INDIA गठबंधन की बैठक में सीपीएम के राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास, आरएसपी के लोकसभा सांसद एनके प्रेमचंद्रन और IUML के ईटी मोहम्मद बशीर ने सुझाव दिया कि संसद को ठप नहीं होने देना चाहिए। उनका मानना था कि बहस के साथ-साथ संसद का कामकाज भी चले।
लेकिन कांग्रेस, डीएमके, तृणमूल कांग्रेस (TMC), समाजवादी पार्टी (SP), शिवसेना (UBT), राष्ट्रीय जनता दल (RJD) जैसी बड़ी पार्टियों ने इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया। उनका कहना है कि बिहार की वोटर लिस्ट में धांधली जैसे गंभीर मुद्दे पर सरकार को चर्चा के लिए मजबूर किया जाना चाहिए।
राहुल गांधी का दावा – वोटर लिस्ट में भारी गड़बड़ी
बैठक के दौरान राहुल गांधी ने INDIA ब्लॉक के नेताओं को बताया कि कांग्रेस ने बेंगलुरु की एक सीट पर सैंपल सर्वे किया है जिसमें वोटर लिस्ट में गंभीर गड़बड़ियों का खुलासा हुआ है। राहुल का कहना है कि बीजेपी वोटर लिस्ट से छेड़छाड़ करके चुनाव जीत रही है, इसलिए इस मुद्दे को संसद में जोरदार तरीके से उठाना जरूरी है।
आने वाले दिनों में विरोध तेज़ करेगा विपक्ष
अब जब सरकार की तरफ से चर्चा से इनकार किया जा रहा है, विपक्ष ने आने वाले दिनों में कई विरोध कार्यक्रम तय किए हैं:
- 8 अगस्त (गुरुवार): राहुल गांधी के आवास पर विपक्षी दलों की डिनर मीटिंग
- 9 अगस्त (शुक्रवार): बेंगलुरु में राहुल गांधी की अगुवाई में बड़ा प्रदर्शन
- 11 अगस्त: संसद से चुनाव आयोग तक विपक्ष का संयुक्त मार्च
यह सभी कार्यक्रम चुनाव आयोग को निशाना बनाकर रखे गए हैं, जिससे सरकार पर दबाव बनाया जा सके कि वह वोटर लिस्ट के विशेष पुनरीक्षण (SIR) पर संसद में चर्चा के लिए राजी हो।
क्या है SIR विवाद?
बिहार में हाल ही में चल रहा “स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन” (SIR) एक प्रक्रिया है जिसमें वोटर लिस्ट को अपडेट किया जाता है। विपक्ष का आरोप है कि इस प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हो रही है, और यह लोकतंत्र के लिए खतरा है। उनका कहना है कि इसे बिना किसी पारदर्शिता के लागू किया जा रहा है।
संसद का मानसून सत्र एक बार फिर हंगामे की भेंट चढ़ता दिख रहा है। विपक्ष जहां सरकार को घेरने के लिए आक्रामक रणनीति अपनाए हुए है, वहीं छोटे दलों की चिंता है कि संसद का पूरा सत्र न खराब हो जाए। लेकिन मौजूदा हालात देखकर साफ है कि जब तक वोटर लिस्ट पर बहस नहीं होती, विपक्ष पीछे हटने को तैयार नहीं है।