Pahalgam Terror Attack और Operation Sindoor पर अगले हफ्ते 16 घंटे की Debate को Govt की मंजूरी, Opposition की नाराज़गी बरकरार

संसद के मानसून सत्र के पहले ही दिन सोमवार 21 जुलाई को विपक्षी पार्टियों के जोरदार हंगामे और बहस की मांग के बाद केंद्र सरकार ने पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर अगले हफ्ते लोकसभा में 16 घंटे की बहस को मंजूरी दे दी है। यह फैसला लोकसभा के बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) की बैठक में लिया गया, जिसकी अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने की।

यह बहस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 26 जुलाई को ब्रिटेन और मालदीव दौरे से लौटने के बाद करवाई जाएगी। फिलहाल पीएम 23 जुलाई से 26 जुलाई तक दो देशों के आधिकारिक दौरे पर रहेंगे।

क्या है मामला?

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पर्यटन स्थल पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की जान गई थी, जिनमें एक नेपाल का नागरिक भी शामिल था। इस हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत सैन्य कार्रवाई की थी, जिसे लेकर देशभर में चर्चा रही। विपक्ष इसी मुद्दे पर संसद में तुरंत बहस और प्रधानमंत्री से जवाब की मांग कर रहा था।

लोकसभा में हंगामा और विपक्ष की मांग

सोमवार को मानसून सत्र की शुरुआत होते ही कांग्रेस, वाम दल, समाजवादी पार्टी और अन्य इंडिया गठबंधन की पार्टियों के सांसदों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। सांसद नारेबाजी करते हुए वेल में पहुंच गए और बहस की तत्काल शुरुआत व प्रधानमंत्री की मौजूदगी की मांग करने लगे। इससे लोकसभा की कार्यवाही दिनभर में चार बार स्थगित करनी पड़ी।

सरकार ने बहस को लेकर क्या कहा?

BAC की बैठक में सरकार ने यह स्पष्ट किया कि बहस अगले हफ्ते करवाई जाएगी और इसके लिए 16 घंटे का समय तय किया गया है। सरकार ने यह भी संकेत दिए हैं कि चर्चा के दौरान पहलगाम हमले, ऑपरेशन सिंदूर और उससे जुड़े कूटनीतिक मामलों पर भी बात होगी।

बहस के नियमों को लेकर विवाद

विपक्ष चाहता है कि बहस Rule 184 (लोकसभा) और Rule 167 (राज्यसभा) के तहत हो, जिससे वोटिंग और चर्चा खत्म होने पर जवाब देने का अधिकार मिले। जबकि सरकार अकसर Rule 193 और Rule 176 के तहत चर्चा करवाती है, जिसमें केवल सामान्य बहस होती है और वोटिंग नहीं होती। कांग्रेस का कहना है कि 2009 के बाद पहली बार सरकार ने वोटिंग वाले नियम के तहत बहस की सहमति दी है, अगर ऐसा होता है।

हालांकि, सरकार की ओर से अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि बहस किस नियम के तहत करवाई जाएगी। राज्यसभा की BAC की बैठक मंगलवार को होगी, जहां चर्चा की अवधि पर फैसला लिया जाएगा।

राज्यसभा में भी वॉकआउट

राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की अगुवाई में वॉकआउट हुआ। उन्होंने भी पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर तत्काल बहस की मांग की थी। कांग्रेस के सांसद गौरव गोगोई, रणदीप सुरजेवाला और नसीर हुसैन ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर बहस कराने की मांग को लेकर नोटिस दिया था।

गौरव गोगोई ने बाद में कहा कि सरकार BAC की बैठक में जो लिखित एजेंडा लाई, उसमें कहीं भी पहलगाम या ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र नहीं था

विपक्ष ने और क्या मांगे रखीं?

विपक्ष सिर्फ पहलगाम और ऑपरेशन सिंदूर पर ही नहीं, बल्कि बिहार में चल रही स्पेशल इलेक्टोरल रोल रिवीजन (SIR) और मणिपुर की स्थिति पर भी अलग-अलग बहस की मांग कर रहा है। इसके साथ ही विपक्ष ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत-पाकिस्तान सीज़फायर पर दिए गए बयानों पर भी प्रधानमंत्री से जवाब मांगा है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, जो लोकसभा में डिप्टी लीडर हैं, उन्होंने अपील की कि “सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है, जिसे स्पीकर मंजूरी देंगे”, लेकिन विपक्ष शांत नहीं हुआ।

आगे क्या?

सूत्रों का कहना है कि जब तक पहलगाम और ऑपरेशन सिंदूर पर बहस नहीं होती, विपक्ष सदन नहीं चलने देगा। सभी की नजरें अब अगले हफ्ते तय की गई 16 घंटे की बहस पर टिकी हैं। देखना होगा कि सरकार किस नियम के तहत चर्चा कराती है और प्रधानमंत्री सदन में खुद जवाब देने आते हैं या नहीं।

यह मुद्दा न सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है, बल्कि संसद के कामकाज और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिहाज़ से भी अहम है। विपक्ष इसे जवाबदेही से जोड़कर देख रहा है, वहीं सरकार चर्चा के लिए तैयार तो है, लेकिन नियमों को लेकर स्थिति अब भी साफ नहीं है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *