पंजाब सरकार की ओर से लाए गए “धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी रोकथाम बिल 2025″ (Punjab Prevention of Offences Against Holy Scriptures Bill, 2025) को मंगलवार को विधानसभा की सेलेक्ट कमेटी को भेज दिया गया है। यह कमेटी अब जनता और धार्मिक संगठनों की राय लेकर अगले छह महीनों में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।
इस बिल को सोमवार को मुख्यमंत्री भगवंत मान ने विधानसभा में पेश किया था। उन्होंने कहा कि धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी करने वालों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए। सीएम मान ने 2015 में SAD-BJP सरकार के दौरान हुई बेअदबी की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसा अपराध माफ नहीं किया जा सकता।
बिल में क्या है प्रावधान?
इस बिल के मुताबिक:
- गंभीर बेअदबी करने वालों को 10 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है।
- दोषी को ₹5 लाख से ₹10 लाख तक का जुर्माना देना होगा।
- बेअदबी की कोशिश करने वालों को 3 से 5 साल की जेल और ₹3 लाख तक का जुर्माना हो सकता है।
- जो लोग ऐसे अपराध के लिए उकसाते हैं, उन्हें भी उसी अपराध के अनुसार सजा मिलेगी।
किन ग्रंथों को मिलेगा संरक्षण?
यह बिल सभी पवित्र ग्रंथों को कवर करता है, जैसे:
- गुरु ग्रंथ साहिब
- भगवद गीता
- बाइबल
- कुरान
बेअदबी की परिभाषा
बिल के अनुसार, बेअदबी का मतलब किसी भी पवित्र ग्रंथ को:
- जलाना
- फाड़ना
- रंग बिगाड़ना
- गंदा करना
- नुकसान पहुंचाना
या इसके किसी हिस्से के साथ ऐसा कोई भी काम करना जिससे उसकी पवित्रता भंग हो।
सख्त कानूनी प्रक्रिया
- इस अपराध को गंभीर (cognizable), गैर-जमानती (non-bailable) और समझौता न होने वाला (non-compoundable) माना जाएगा।
- ऐसे मामलों की जांच DSP रैंक से ऊपर का पुलिस अधिकारी करेगा।
- केस की सुनवाई सेशन कोर्ट में होगी।
क्यों लाया गया ये बिल?
पंजाब में बेअदबी का मुद्दा बेहद संवेदनशील रहा है, खासकर 2015 में फरीदकोट में हुई घटनाओं के बाद। तब से लगातार मांग उठ रही थी कि सभी धर्मों के ग्रंथों की बेअदबी पर सख्त कानून होना चाहिए।
इससे पहले भी हुए थे प्रयास
- 2016 में SAD-BJP सरकार ने सिर्फ गुरु ग्रंथ साहिब को लेकर सख्त सजा का कानून लाया था, जिसे केंद्र सरकार ने संविधान की धर्मनिरपेक्षता के आधार पर लौटा दिया।
- 2018 में कांग्रेस सरकार ने भी ऐसा ही बिल पास किया था लेकिन राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिली और वह भी लागू नहीं हो पाया।
इस बार क्या है नया?
इस बार का बिल सभी धर्मों के पवित्र ग्रंथों को समान दर्जा देता है और सभी के साथ समान सजा का प्रावधान रखता है। यही वजह है कि इसे अब सेलेक्ट कमेटी को भेजा गया है, ताकि आम लोग और धार्मिक संगठन इस पर अपनी राय दे सकें।
अब देखना ये होगा कि क्या इस बार पंजाब सरकार का यह कानून लागू हो पाएगा या पहले की तरह ये भी अधर में लटक जाएगा। लेकिन एक बात साफ है कि सरकार अब इस मुद्दे पर कड़ा संदेश देना चाहती है कि धर्म के नाम पर किसी भी तरह की बेअदबी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।