देश की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। RSS (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के एक बयान को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बड़ा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया है कि RSS और BJP को संविधान नहीं, मनुस्मृति चाहिए। उनका कहना है कि ये लोग गरीबों, दलितों और पिछड़ों से उनके अधिकार छीनकर उन्हें दोबारा गुलाम बनाना चाहते हैं।
दरअसल, RSS के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने हाल ही में एक कार्यक्रम में यह बयान दिया कि संविधान की प्रस्तावना (Preamble) में जो “Socialist” (समाजवादी) और “Secular” (धर्मनिरपेक्ष) शब्द हैं, वे आपातकाल (Emergency) के समय 1976 में जोड़े गए थे, जबकि B.R. Ambedkar द्वारा बनाए गए मूल संविधान में ये शब्द नहीं थे। उन्होंने कहा कि इन शब्दों की अब पुनः समीक्षा (Review) होनी चाहिए।
राहुल गांधी ने किया पलटवार
इस बयान के बाद राहुल गांधी ने X (पहले ट्विटर) पर हिंदी में पोस्ट कर जोरदार हमला बोला। उन्होंने लिखा:
“RSS का नकाब फिर उतर गया है। उन्हें संविधान से चिढ़ है क्योंकि वह बराबरी, सेक्युलरिज्म और न्याय की बात करता है।”
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि:
- RSS और BJP संविधान की जगह मनुस्मृति लागू करना चाहते हैं।
- इनका असली मकसद दलितों, पिछड़ों और गरीबों से उनके अधिकार छीनना है।
- ये संविधान जैसे शक्तिशाली हथियार को लोगों से छीनना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि:
“RSS को यह सपना देखना बंद करना चाहिए — हम कभी उन्हें इसमें सफल नहीं होने देंगे। हर देशभक्त भारतीय संविधान की रक्षा आखिरी सांस तक करेगा।”
‘समाजवादी‘ और ‘धर्मनिरपेक्ष‘ शब्दों का इतिहास
संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द 1976 में जोड़े गए थे, जब देश में इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लगाया गया था। उस दौरान 42वां संविधान संशोधन किया गया था।
RSS के मुताबिक ये शब्द मूल संविधान का हिस्सा नहीं थे और इमरजेंसी के दौरान जब Parliament, Judiciary और Fundamental Rights सब कुछ ठप हो गया था, तब ये शब्द जोड़ दिए गए। इसलिए अब इन पर फिर से विचार होना चाहिए।
बड़ा सवाल: क्या संविधान की आत्मा बदलने की कोशिश?
इस बयान और राहुल गांधी की प्रतिक्रिया ने एक बड़ा राजनीतिक और सामाजिक सवाल खड़ा कर दिया है —
क्या देश में संविधान की आत्मा को बदलने की कोशिश हो रही है?
क्या ‘मनुस्मृति बनाम संविधान’ की बहस अब असली राजनीतिक एजेंडा बन चुकी है?
जहां एक तरफ RSS अपनी विचारधारा के अनुसार संविधान के कुछ हिस्सों की समीक्षा की बात कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ विपक्ष इसे संविधान पर हमला मान रहा है।
राहुल गांधी ने इस मुद्दे को आम जनता, गरीबों और दलितों से जोड़ा है, जिससे ये बहस सिर्फ कानूनी या वैचारिक नहीं, बल्कि जनता से जुड़ा संवेदनशील मुद्दा बन चुकी है।