हरियाणा के आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की मौत का मामला अब देशभर में चर्चा का विषय बन गया है। उनकी आत्महत्या ने पुलिस सिस्टम और समाज के भीतर मौजूद जातिगत भेदभाव को फिर से सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है।
शनिवार को पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने चंडीगढ़ में दिवंगत अधिकारी के परिवार से मुलाकात की और कहा कि यह घटना “समाज के मुंह पर तमाचा” है। उन्होंने कहा कि अगर एक सीनियर आईपीएस अधिकारी को भी न्याय के लिए संघर्ष करना पड़े, तो आम आदमी की क्या हालत होगी?
सीएम भगवंत मान का बयान – “यह समाज के लिए आईना है”
परिवार से मिलने के बाद मीडिया से बात करते हुए भगवंत मान ने कहा,
“वाई पूरन कुमार जैसे अधिकारी अगर इंसाफ के लिए तड़पकर चले जाएं, तो यह सिर्फ एक मौत नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए आईना है। गरीब और दलित तबके के लोग जब मेहनत करके ऊंची कुर्सी तक पहुंचते हैं, तो कुछ लोगों को यह बर्दाश्त नहीं होता।”
उन्होंने कहा कि “यह सिर्फ एक ट्रैजेडी नहीं, बल्कि सिस्टम पर सवाल है।”
मान ने हरियाणा सरकार से मांग की कि सुसाइड नोट में जिन ‘ब्लू-आईड ऑफिसर्स’ (पसंदीदा अफसरों) के नाम हैं, उन्हें तुरंत गिरफ्तार किया जाए और किसी को भी बचाने की कोशिश न हो।
“गरीब परिवार ने बच्चों को पढ़ाया, अब इंसाफ की लड़ाई लड़नी पड़ रही है”
मान ने कहा कि वाई पूरन कुमार गरीब परिवार से थे, जिन्होंने मेहनत करके अपने बच्चों को पढ़ाया और यूपीएससी पास करवाया। उन्होंने कहा कि पूरन कुमार की पत्नी आईएएस अमनीत पी कुमार खुद हरियाणा में अधिकारी हैं और पंजाब के बठिंडा से आम आदमी पार्टी विधायक अमित रतन की बहन हैं।
सीएम ने कहा,
“अगर ऐसे परिवार को भी न्याय के लिए दर-दर भटकना पड़े, तो यह बहुत शर्मनाक है। सिस्टम को खुद सोचना चाहिए कि आखिर क्यों एक ईमानदार अफसर को ऐसी नौबत आई।”
“दलित अफसरों को परेशान करने की साजिश”
भगवंत मान ने कहा कि यह सिर्फ एक सुसाइड केस नहीं, बल्कि दलित अधिकारियों को दबाने और परेशान करने की एक साजिश लगती है। उन्होंने कहा कि आज भी कुछ लोग नहीं चाहते कि कोई गरीब या दलित अधिकारी ऊंचे पद पर बैठे।
उन्होंने कहा —
“अगर बाबा साहेब अंबेडकर को उस दौर में अपमान झेलना पड़ा, तो आज भी वही मानसिकता कुछ लोगों में जिंदा है। जो न्याय और समानता की बात करता है, उसी को निशाना बनाया जा रहा है।”
गवर्नर और हरियाणा सरकार से कार्रवाई की मांग
सीएम मान ने बताया कि उन्होंने पंजाब के गवर्नर बनवारीलाल पुरोहित (जो चंडीगढ़ के प्रशासक भी हैं) से मुलाकात की है और उनसे निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है।
उन्होंने कहा —
“मैं खुद हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से बात करूंगा ताकि इस केस में बिना डर और दबाव के न्याय हो।”
मान ने कहा कि “कोई भी कानून से ऊपर नहीं है”, चाहे वह कितना भी बड़ा अधिकारी क्यों न हो।
हरियाणा सरकार की कार्रवाई और प्रतिक्रिया
इस मामले में अब हरियाणा सरकार भी सक्रिय हो गई है।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि
“चाहे दोषी कितना भी बड़ा हो, उसे छोड़ा नहीं जाएगा।”
सरकार ने रोहतक एसपी नरेंद्र बिजारनिया, जिनका नाम सुसाइड नोट में है, को ट्रांसफर कर दिया है और आईजी पुष्पेंद्र कुमार की अगुवाई में SIT (Special Investigation Team) गठित की है।
हालांकि, वाई पूरन कुमार का परिवार अब भी पोस्टमॉर्टम की इजाजत देने से इंकार कर रहा है। परिवार का आरोप है कि अधिकारी “बॉडी को बिना बताए शिफ्ट करने की कोशिश” कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जब तक सभी 8 आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होती, वे पोस्टमॉर्टम नहीं होने देंगे।
परिवार की मांगें और आरोप
वाई पूरन कुमार की पत्नी आईएएस अमनीत पी कुमार का कहना है कि उन्होंने पहले दिन ही एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी, लेकिन अब तक आरोपियों के नाम एफआईआर में नहीं जोड़े गए। परिवार का कहना है कि यह एफआईआर को कमजोर करने की साजिश लगती है।
SC/ST कमीशन और नेताओं की प्रतिक्रिया
इस मामले पर अब पंजाब स्टेट शेड्यूल्ड कास्ट कमीशन ने भी संज्ञान (suo motu cognisance) लिया है और चंडीगढ़ के डीजीपी से 13 अक्टूबर तक रिपोर्ट मांगी है। कमीशन चेयरमैन जसवीर सिंह गढ़ी ने कहा कि वे खुद अगले हफ्ते परिवार से मिलेंगे।
वहीं, देशभर के कई नेताओं ने इस घटना को लेकर दुख जताया है।
- बीएसपी प्रमुख मायावती ने कहा कि “यह घटना सभ्य समाज को शर्मसार करती है।”
- रणदीप सिंह सुरजेवाला, दीपेंद्र हुड्डा, चरणजीत चन्नी, और मनीष सिसोदिया ने परिवार से मुलाकात की और निष्पक्ष जांच की मांग की।
कौन थे वाई पूरन कुमार?
वाई पूरन कुमार 2001 बैच के हरियाणा कैडर के आईपीएस अधिकारी थे। वे मेहनती, ईमानदार और सख्त छवि वाले अधिकारी माने जाते थे।
उनकी मौत ने पूरे पुलिस विभाग और समाज को झकझोर दिया है।
नतीजा और बड़ा सवाल
वाई पूरन कुमार की मौत अब सिर्फ एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि सिस्टम में मौजूद भेदभाव और असमानता पर बड़ा सवाल बन गई है।
अब देखना यह है कि हरियाणा सरकार और केंद्र सरकार इस मामले में कितनी निष्पक्षता से न्याय दिलाती है।
जैसा कि भगवंत मान ने कहा —
“न्याय पद या रुतबे पर निर्भर नहीं होना चाहिए, बल्कि इंसानियत पर होना चाहिए।”