पंजाब इन दिनों एक नई मिसाल पेश कर रहा है। जब बाढ़ ने खेतों और गांवों में तबाही मचाई, तब मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सिर्फ दफ्तर से आदेश नहीं दिए — बल्कि खुद लोगों के बीच जाकर उनकी मदद की। वो खेतों में उतरे, किसानों से मिले, और राहत कार्यों की निगरानी खुद की। यह नज़ारा पंजाब में पहली बार देखने को मिला, जब कोई मुख्यमंत्री धरातल पर जाकर हर पीड़ित की बात सुन रहा था।
सिर्फ बातें नहीं, असली काम
जब बाढ़ से पंजाब के किसानों की फसलें बर्बाद हुईं, तब मान सरकार ने त्वरित कार्रवाई की।
सरकार ने ₹74 करोड़ का राहत पैकेज, 2 लाख क्विंटल मुफ्त गेहूं बीज, और ₹20,000 प्रति एकड़ का मुआवज़ा देने की घोषणा की।
लेकिन खास बात यह रही कि ये सब सिर्फ कागजों पर नहीं रहा — सिर्फ 30 दिनों में यह राहत राशि किसानों के खातों में पहुंच गई।
यह कदम अपने आप में रिकॉर्ड है, क्योंकि आमतौर पर सरकारी राहत महीनों या सालों तक फाइलों में अटकी रहती है। इस बार सरकार ने साबित किया कि जब नीयत साफ हो तो काम तेज़ भी हो सकता है।
हर वर्ग तक राहत
सीएम मान ने साफ कहा कि सिर्फ बड़े किसानों को नहीं, बल्कि खेतिहर मज़दूरों, छोटे दुकानदारों और गरीब परिवारों को भी मुआवज़ा दिया जाएगा।
यह “inclusive approach” दिखाता है कि सरकार सिर्फ अमीरों की नहीं, बल्कि हर आम आदमी की सरकार है।
किसानों को मिली बड़ी राहत
बाढ़ के बाद कई किसानों की ज़मीन पर रेत और सिल्ट जम गई थी। सरकार ने किसानों को 15 नवंबर तक यह रेत बेचने की छूट दे दी, वो भी बिना किसी सरकारी NOC के।
यह एक ऐसा निर्णय है जिससे किसानों को दोबारा आर्थिक रूप से खड़ा होने का मौका मिलेगा।
पारदर्शिता और जवाबदेही
सीएम भगवंत मान ने सोशल मीडिया पर खुद राहत कार्यों के वीडियो और अपडेट शेयर किए।
वो लगातार अधिकारियों के साथ हर गांव की स्थिति का जायज़ा लेते रहे। इससे जनता में भरोसा बढ़ा और प्रशासन भी ज्यादा ज़िम्मेदार बना।
सरकार ने ग्राम स्तर से लेकर राज्य स्तर तक विशेष निगरानी टीमें भी बनाई हैं, ताकि कोई शिकायत अनसुनी न रह जाए।
बढ़ा मुआवज़ा, घटा बोझ
मान सरकार ने SDRF के तहत दिया जाने वाला मुआवज़ा ₹28,000 से बढ़ाकर ₹40,000 कर दिया है।
इसके साथ ही जिनके घर बाढ़ में क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें भी राहत दी जा रही है।
किसानों को 6 महीने तक किसी भी लोन की किस्त या ब्याज नहीं देना होगा — यानी सरकार ने उनके कंधों से वित्तीय बोझ भी हल्का किया है।
पशुधन की हानि और संपत्ति के नुकसान के लिए भी अलग से सहायता राशि घोषित की गई है।
सरकारी खरीद और भरोसा
सरकार ने वादा किया है कि बाढ़ प्रभावित इलाकों की फसलों की पूरी सरकारी खरीद होगी, और किसानों को समय पर भुगतान मिलेगा।
यह वादा अब सिर्फ चुनावी नारा नहीं रहा — बल्कि जमीनी हकीकत बन चुका है।
“जो कहा, वो किया” वाली सरकार
आज पंजाब में राहत कार्य किसी फाइल या पोस्टर पर नहीं, बल्कि हर पीड़ित के घर में महसूस हो रहा है।
लोग कह रहे हैं — “सरकार वाकई हमारे साथ खड़ी है।”
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने यह साबित किया है कि सरकार AC कमरों से नहीं, धूल भरी मंडियों से चलाई जाती है।
उन्होंने संकट के समय दिखाया कि असली नेता वही होता है जो लोगों के बीच जाए, सुनने और समाधान देने की हिम्मत रखे।
पंजाब की नई दिशा
पंजाब आज एक नए दौर में प्रवेश कर रहा है —
जहाँ सरकार और जनता के बीच की दूरी घट रही है,
जहाँ फैसले तेज़ी से लिए जा रहे हैं,
और जहाँ हर किसान, मजदूर और गरीब को भरोसा है कि “उनकी सरकार सच में उनके साथ है।”

