पंजाब सरकार की लैंड पूलिंग पॉलिसी के खिलाफ गांवों में भारी नाराज़गी देखने को मिल रही है। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि अब आम आदमी पार्टी (AAP) के नेताओं और कार्यकर्ताओं को गांवों में घुसने से मना किया जा रहा है। कई इलाकों में लोग बोर्ड लगाकर AAP नेताओं और अधिकारियों को चेतावनी दे रहे हैं – “यहां आपका स्वागत नहीं है।”
इस नीति के तहत सरकार किसानों की ज़मीन लेकर उन्हें बदले में विकसित रिहायशी और कमर्शियल प्लॉट देने की बात कर रही है। सरकार का दावा है कि इससे अवैध कॉलोनियों पर रोक लगेगी और शहरी विकास को बढ़ावा मिलेगा। लेकिन किसानों और ग्रामीणों का कहना है कि यह स्कीम उनकी ज़मीन, पहचान और संस्कृति छीनने का प्रयास है।
“गांव को ही मिटा रहे हैं आप लोग”: जडोवाल के पूर्व सरपंच
लुधियाना के जोधन गांव के पूर्व सरपंच जगदेव सिंह ने कहा,
“हमारे गांव की कुल ज़मीन 1,956 एकड़ है, जिसमें से 1,196 एकड़ इस स्कीम में आ गई है। सीधे शब्दों में कहें तो आप हमारे गांव को ही खत्म कर रहे हैं। ये सिर्फ ज़मीन नहीं है, ये हमारी पहचान है, हमारी विरासत है।”
उन्होंने कहा कि अब गांवों में राजनीतिक मतभेद भुलाकर सभी लोग एकजुट हो गए हैं – चाहे वो AAP, कांग्रेस या अकाली दल के समर्थक हों। सब इस स्कीम के खिलाफ हैं।
“यहां तक कि AAP के कार्यकर्ता भी अब चुप हैं, उन्हें समझ नहीं आ रहा कि वो अपने ही गांववालों को क्या जवाब दें,” जगदेव सिंह ने कहा।
“खेती खत्म तो पंजाब की संस्कृति खत्म”
जगदेव सिंह ने सवाल उठाया –
“जब हम पंजाब की बात करते हैं तो खेत-खलिहान, भांगड़ा, गिद्धा और गुरुद्वारे याद आते हैं। अगर आप खेती की ज़मीन ही कम कर देंगे तो हमारी संस्कृति पर सीधा हमला होगा।”
“बोर्ड लगाएंगे – नेताओं को एंट्री नहीं”
होशियारपुर जिले के गांव जैसे पुर हीरां और शेरगढ़ में 28 जुलाई से विरोध तेज होगा। वहां के लोगों ने तय किया है कि वे गांव के बाहर बोर्ड लगाएंगे जिन पर लिखा होगा –
“AAP नेताओं और विकास अधिकारियों का प्रवेश वर्जित है।”
भारतीय किसान यूनियन (डोआबा) के अध्यक्ष मनजीत सिंह राय, जो खुद पुर हीरां गांव के निवासी हैं, ने बताया –
“मेरी पुश्तैनी 7 एकड़ ज़मीन इस स्कीम में आ गई है। पूरे गांव की लगभग 300 एकड़ ज़मीन प्रभावित हो चुकी है। अब हम किसी भी लैंड पूलिंग अवेयरनेस कैंप को अपने गांव में नहीं होने देंगे। हमारे गांव के AAP कार्यकर्ता खुद भी चुप हैं, उन्हें भी पता है कि ये योजना आम लोगों को नुकसान पहुंचा रही है।”
विरोध की लहर पूरे पंजाब में
लुधियाना, होशियारपुर, मोगा, अमृतसर, फिरोज़पुर और पटियाला जैसे जिलों के किसान अब मिलकर एक बड़ा आंदोलन खड़ा करने की तैयारी में हैं।
कई गांवों में पंचायतें पास कर सरकार से योजना वापस लेने की मांग कर चुकी हैं। लोगों का कहना है कि इस योजना को लागू करने से पहले गांववालों से सहमति नहीं ली गई और अब जब विरोध हो रहा है, तो सरकार चुप्पी साधे बैठी है।
मुख्य बातें:
- AAP नेताओं को गांवों में एंट्री से रोका जा रहा है।
- किसान बोले – “ये सिर्फ ज़मीन नहीं, पहचान की लड़ाई है।”
- 28 जुलाई से कई गांवों में बोर्ड लगाकर विरोध शुरू होगा।
- AAP के खुद के कार्यकर्ता भी गांवों में विरोध के चलते असहज महसूस कर रहे हैं।
- पंजाब के कई जिलों में एकजुट होकर किसान आंदोलन की तैयारी में।