पंजाब के पूर्व अकाली मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया, जो इन दिनों आमदन से ज़्यादा संपत्ति मामले में जेल में हैं, ने अपनी बैरक बदलवाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया है। मजीठिया के वकीलों ने मोहाली की व अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश की अदालत में एक अर्जी दायर की है, जिसमें उन्होंने मांग की है कि मजीठिया को आम कैदियों के साथ न रखा जाए।
वकीलों ने दलील दी है कि एक तरफ सरकार खुद मजीठिया की सुरक्षा की बात कर रही है और दूसरी तरफ उन्हें आम कैदियों के साथ एक ही बैरक में रखा गया है, जो खतरे से खाली नहीं है। उनका कहना है कि जिस बैरक में मजीठिया को रखा गया है, वहां CCTV कैमरे भी लगे हुए हैं, जिससे उनकी प्राइवेसी और सुरक्षा दोनों प्रभावित हो सकती हैं।
इसके अलावा, मजीठिया के वकीलों ने एक और अर्जी दाख़िल की है जिसमें उन्होंने विजिलेंस विभाग से “ग्राउंड ऑफ अरेस्ट” की कॉपी मांगी है। यानी उन्हें किन आधारों पर गिरफ़्तार किया गया, इसका पूरा ब्योरा लिखित रूप में मांगा गया है। इस अर्जी के साथ जेल मैनुअल की कॉपी भी संलग्न की गई है ताकि यह दिखाया जा सके कि जेल नियमों के मुताबिक मजीठिया को किस तरह की सुविधा मिलनी चाहिए।
इस मामले पर अदालत ने विजिलेंस विभाग को 14 जुलाई (सोमवार) के लिए नोटिस जारी कर दिया है। अब सबकी नज़र इस बात पर है कि विजिलेंस इस अर्जी का क्या जवाब देती है।
इस बीच विजिलेंस ने अदालत को यह जानकारी दी है कि दिल्ली स्थित सैनिक भवन की तलाशी पूरी हो चुकी है और इससे संबंधित एक पेन ड्राइव अदालत में पेश की गई है। हालांकि, दिल्ली में स्थित ‘सराया कंपनी’ के दफ्तर की तलाशी अब भी जारी है और वह पूरी नहीं हुई है।
दूसरी तरफ, मजीठिया का ज्यूडिशियल रिमांड 19 जुलाई को खत्म हो रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या उससे पहले विजिलेंस दोबारा उनका रिमांड मांगती है या नहीं। सरकार की ओर से नियुक्त स्पेशल प्रॉसिक्यूटर ने पहले ही यह बयान दिया था कि अगर एजेंसी के पास नए सबूत आते हैं, तो उनके पास 3 और दिन का रिमांड लेने का कानूनी हक है।
बिक्रम मजीठिया के मामले में अब हर छोटी-बड़ी कानूनी हलचल पर नज़र बनी हुई है। बैरक बदलवाने की मांग से लेकर रिमांड की संभावना तक, यह केस लगातार चर्चा में बना हुआ है। अब सभी की निगाहें 14 और 19 जुलाई की सुनवाई पर टिकी हैं।