चंडीगढ़ में हरियाणा की अलग विधानसभा बनाने का मामला अब पूरी तरह ठंडा पड़ गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने हरियाणा सरकार के इस प्रस्ताव को औपचारिक रूप से खारिज कर दिया है और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को सलाह दी है कि इस मुद्दे पर अब चंडीगढ़ प्रशासन के साथ कोई भी आगे की कार्रवाई न की जाए।
यह फैसला इसलिए भी बड़ा माना जा रहा है क्योंकि पिछले दो सालों से हरियाणा लगातार चंडीगढ़ में अपनी नई Assembly Building की मांग कर रहा था और इस पर कई दौर की बातचीत भी हो चुकी थी।
क्यों खारिज हुआ प्रस्ताव?
पहले मिली थी जमीन देने की सहमति
जुलाई 2023 में चंडीगढ़ प्रशासन ने हरियाणा को करीब 10 एकड़ जमीन देने पर सहमति जताई थी।
- यह जमीन IT Park के पास, Railway Light Point के नजदीक थी।
- इसकी अनुमानित कीमत लगभग ₹640 करोड़ आंकी गई थी।
हरियाणा ने स्वैप डील का प्रस्ताव रखा
हरियाणा ने बदले में पंचकूला के पास 12 एकड़ जमीन चंडीगढ़ को देने की पेशकश की थी।
लेकिन जनवरी 2024 में चंडीगढ़ प्रशासन ने इसे खारिज कर दिया।
Urban Planning Department की रिपोर्ट में कहा गया:
- जमीन नीची है
- बीच से नाला गुजरता है
- कनेक्टिविटी खराब है
- Public use के लिए उपयुक्त नहीं
यानी यह swap deal असफल हो गई।
आखिरकार केंद्र का निर्णय
कई महीनों की बातचीत के बाद गृह मंत्रालय ने साफ संकेत दे दिए कि यह मामला आगे नहीं बढ़ाया जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक, मंत्रालय ने हरियाणा से कहा है:
“आप चाहें तो प्रयास जारी रख सकते हैं, लेकिन केंद्र इस मुद्दे को आगे नहीं ले जाएगा।”
पंजाब का सख्त विरोध: “एक इंच जमीन नहीं देंगे”
जैसे-जैसे हरियाणा का यह प्रस्ताव आगे बढ़ रहा था, पंजाब ने इसका जोरदार विरोध शुरू कर दिया।
AAP के विधायक और अन्य नेताओं ने कहा:
- “चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी है। हरियाणा यहां सिर्फ भवन का उपयोग करता है, मालिक नहीं है।”
- पंजाब ने साफ कहा कि चंडीगढ़ में हरियाणा की नई विधानसभा के लिए कोई भी निर्माण कभी मंजूर नहीं किया जाएगा।
वर्तमान स्थिति
- अभी पंजाब और हरियाणा दोनों चंडीगढ़ के साझा विधानसभा भवन का उपयोग करते हैं।
- यह भवन मशहूर वास्तुकार Le Corbusier का बनाया हुआ है।
- 2016 में इसे UNESCO World Heritage का दर्जा मिला, इसलिए यहां नई बिल्डिंग बनाने पर कई तरह की सख्त पाबंदियां हैं।
मामला चर्चा में कैसे आया?
- जुलाई 2022 में जयपुर में हुई Northern Zonal Council Meeting में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हरियाणा को विधानसभा के लिए जमीन देने की घोषणा की थी।
- इसके बाद हरियाणा सरकार ने तेजी से प्रस्ताव तैयार किया, लेकिन पंजाब के विरोध और जमीन स्वैप फेल होने के कारण मामला अटक गया।
हरियाणा की क्या दलील थी?
सीएम नायब सिंह सैनी और राज्य सरकार का कहना था कि:
- 2026 में संभवत: Delimitation होने के बाद हरियाणा की Assembly Seats बढ़ सकती हैं।
- ऐसे में नई और बड़ी विधानसभा की जरूरत पड़ेगी।
- चंडीगढ़ दोनों राज्यों की साझा राजधानी है, इसलिए हरियाणा को अपना अलग भवन मिलना चाहिए।
लेकिन राजनीतिक विरोध, जमीन विवाद और केंद्र की अनिच्छा के चलते यह योजना रुक गई।
अब आगे क्या?
- केंद्र ने साफ कर दिया है कि फिलहाल यह प्रस्ताव बंद है।
- हरियाणा चाहे तो नए विकल्प खोज सकता है, लेकिन चंडीगढ़ में नई Assembly Building बनाना अब लगभग नामुमकिन माना जा रहा है।
- पंजाब ने भी अपने रुख से साफ कर दिया है कि वह चंडीगढ़ में किसी भी नए निर्माण को लेकर बहुत सख्त रहेगा।

