उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को प्रयागराज में एक क्लोज़-डोर (बंद कमरे में) समीक्षा बैठक की। इस बैठक में प्रयागराज और विंध्याचल मंडल के विधायक और एमएलसी शामिल हुए। आधिकारिक एजेंडा इंफ्रास्ट्रक्चर और डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स की समीक्षा था, लेकिन विपक्ष ने इसे लेकर सवाल खड़े कर दिए।
विपक्ष का आरोप – ‘ये BJP की मीटिंग थी’
सपा विधायक संदीप पटेल (मेजा) ने कहा कि उन्हें इस मीटिंग में बुलाया ही नहीं गया।
“ये राज्य की विकास बैठक नहीं थी, बल्कि BJP की विकास बैठक थी,” उन्होंने तंज कसा।
संदीप पटेल ने आरोप लगाया कि सत्ता पक्ष लगातार विपक्षी विधायकों को नजरअंदाज कर रहा है और जब समीक्षा प्रक्रिया में सभी की भागीदारी ही नहीं होगी, तो उसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठेंगे।
बागी सपा विधायक पूजा पाल की मौजूदगी चर्चा में
दिलचस्प बात ये रही कि सपा की बागी विधायक पूजा पाल मीटिंग में शामिल हुईं। पूजा पाल ने लोकसभा चुनाव में BJP के लिए प्रचार किया था। उन्होंने बताया कि मीटिंग में पुराने प्रोजेक्ट्स की प्रगति और आने वाले समय की ज़रूरतों पर चर्चा हुई।
सख्त सुरक्षा, मोबाइल फोन्स पर पाबंदी
बैठक सर्किट हाउस में भारी सुरक्षा के बीच हुई। अंदर किसी को मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति नहीं थी।
₹6,700 करोड़ की नई योजनाओं का खाका तैयार
BJP विधायक सिद्धार्थ नाथ सिंह ने बताया कि करीब ₹6,700 करोड़ की नई परियोजनाओं की तैयारी की जा रही है। इनमें PWD के काम, महाकुंभ 2025 की तैयारी, और बाढ़ से बचाव की योजनाएं शामिल हैं।
पॉलिटिकल इनक्लूसिविटी पर सवाल
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भले ही इस बैठक को रूटीन रिव्यू मीटिंग बताया गया, लेकिन चयनित आमंत्रण (Selective Outreach) ने पारदर्शिता और राजनीतिक भागीदारी (Inclusivity) पर सवाल खड़े कर दिए।
सीधे शब्दों में कहें तो, योगी सरकार विकास की गाड़ी को तेज़ करना चाहती है, लेकिन विपक्ष का आरोप है कि ये ‘विकास’ सिर्फ BJP की सीमा तक सीमित हो रहा है।