लुधियाना के एक परिवार की आंखों में उम्मीद की किरण जगी है। उनका बेटा समरजीत सिंह, जो कुछ महीने पहले रूस में लापता हो गया था, अब शायद जल्द वापस लौट सकता है। भारत के विदेश मंत्रालय ने रूस को जो 14 भारतीय युवाओं की सूची भेजी है, उसमें समरजीत का नाम भी शामिल है।
क्या है पूरा मामला?
लुधियाना के समरजीत सिंह 16 जुलाई को रूस के लिए निकले थे। वहाँ पहुँचकर उन्होंने रशियन लैंग्वेज (Russian Language) सीखी। लेकिन इसके बाद जो हुआ, उसने उनके परिवार को हिला दिया — उन्हें धोखे से रूसी सेना (Russian Army) में भर्ती कर लिया गया। तब से अब तक उनका कोई संपर्क परिवार से नहीं हो पाया है।
समरजीत के पिता चरणजीत सिंह बताते हैं कि आखिरी बार 8 सितंबर को शाम 6 बजे समरजीत की 22 सेकंड की वीडियो कॉल आई थी। कॉल में बेटे ने बस इतना कहा —
“मैं ठीक हूं पापा, अपना और मम्मी का ख्याल रखना।”
इसके बाद कॉल कट गई, और तब से न तो फोन आया, न कोई मैसेज।
विदेश मंत्रालय से मिली उम्मीद
जब भारत में उन परिवारों ने, जिनके बच्चे रूस में फंसे हैं, दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना दिया, तो उनकी आवाज विदेश मंत्रालय तक पहुँची।
धरने के बाद मंत्रालय के अधिकारियों ने परिवारों से मुलाकात की और भरोसा दिया कि सभी युवाओं को वापस लाने की कोशिश जारी है।
इसी दौरान मंत्रालय ने 14 भारतीय युवाओं की एक सूची रूस को भेजी, जिनमें समरजीत सिंह का नाम भी शामिल है। मंत्रालय ने कहा कि रूस के विदेश मंत्रालय से रिप्लाई आना शुरू हो गया है और बातचीत चल रही है।
जानकारी के मुताबिक, तीन भारतीय युवक जल्द भारत लौट सकते हैं, और बाकी युवकों के लिए भी प्रयास जारी हैं।
पिता की भागदौड़ – हर दरवाज़ा खटखटाया
समरजीत के पिता चरणजीत सिंह अपने बेटे को ढूंढने के लिए लगातार कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कई जगह आवेदन दिए और नेताओं से मुलाकात की —
- डिप्टी कमिश्नर (DC) लुधियाना को आवेदन देकर मदद मांगी।
- पंजाब सरकार और एनआरआई मंत्री संजीव अरोड़ा से भी संपर्क किया, लेकिन कोई ठोस जवाब नहीं मिला।
- केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू से मिलकर बेटे की पूरी फाइल सौंपी। बिट्टू ने भरोसा दिलाया कि वे यह मामला विदेश मंत्री एस. जयशंकर के सामने रखेंगे।
- हाल ही में वे लुधियाना के सांसद अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग के दफ्तर भी गए। राजा वड़िंग तो नहीं मिले, लेकिन उनके पीए ने कहा कि जरूरत पड़ी तो दिल्ली ले चलेंगे।
धरने में दी गई थी 27 युवाओं की लिस्ट
धरने में शामिल परिवारों ने विदेश मंत्रालय को 27 युवाओं की सूची सौंपी, जिन्हें रूस में जबरन आर्मी में भर्ती किया गया बताया गया है। इन युवकों में से कई का अपने परिवारों से कोई संपर्क नहीं है।
परिवार की बेबसी
चरणजीत सिंह बताते हैं कि जब उन्होंने हाल ही में रूस से आए कुछ वीडियो देखे, तो वो उनमें अपने बेटे को ढूंढते रहे, लेकिन समरजीत नहीं दिखा।
वे कहते हैं —
“सूची में नाम देखकर थोड़ी राहत मिली, लेकिन जब तक बेटे से बात नहीं होगी, चैन नहीं आएगा।”
उम्मीद अब भी ज़िंदा है
अब जबकि विदेश मंत्रालय ने समरजीत का नाम रूस को भेजी सूची में शामिल किया है, परिवार की उम्मीद फिर से जागी है।
चरणजीत सिंह का कहना है कि वे हर दिन इस उम्मीद में हैं कि कभी न कभी समरजीत का फोन आएगा या कोई खुशखबरी मिलेगी।
“बस इतना चाहते हैं कि मेरा बेटा सही-सलामत घर लौट आए,” — कहते हैं भावुक चरणजीत सिंह।
रूस में जबरन आर्मी में भर्ती किए गए भारतीय युवकों का मामला लगातार चर्चा में है।
सरकार की ओर से कूटनीतिक स्तर पर बातचीत जारी है, और कई परिवार अब इस आस में हैं कि उनके बच्चे जल्द भारत लौट आएंगे।
लुधियाना का यह परिवार भी उसी उम्मीद पर टिका है कि समरजीत सुरक्षित है और बहुत जल्द अपने घर की चौखट पार करेगा।

