शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal – SAD) के पुनर्गठन की प्रक्रिया अब अपने अहम मोड़ पर पहुंच गई है। Akal Takht के निर्देशों पर बनाई गई SAD की एक विशेष समिति ने 11 अगस्त को पार्टी के नए अध्यक्ष (President) के चुनाव के लिए SGPC से तेजा सिंह समुंदरी हॉल (जो SGPC परिसर में स्थित है) में delegate meeting आयोजित करने की अनुमति मांगी है।
SAD की ओर से SGPC को लिखा गया पत्र
समिति के सदस्य गुरप्रताप सिंह वडाला ने जानकारी दी कि उन्होंने SGPC को पत्र लिखकर हॉल में बैठक की इजाजत मांगी है। इस बैठक में SAD के प्रतिनिधि शामिल होंगे, जो पार्टी के नए अध्यक्ष का चुनाव करेंगे। वडाला ने कहा कि यह पूरी प्रक्रिया Akal Takht के आदेशों के अनुसार हो रही है, इसलिए SGPC को अनुमति देने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
पूरा मामला कब शुरू हुआ?
Akal Takht ने 2 दिसंबर 2024 को SAD के पुनर्गठन के लिए 7 सदस्यीय समिति गठित की थी। इस समिति का काम था:
- पार्टी की सदस्यता अभियान चलाना,
- SAD के नए पदाधिकारियों और अध्यक्ष का चुनाव करना।
इस समिति में शामिल सदस्य थे:
- हरजिंदर सिंह धामी (SGPC अध्यक्ष) – अब इस्तीफा दे चुके हैं
- कृपाल सिंह बडूंगर – इस्तीफा दे चुके हैं
- इकबाल सिंह झूंड़ा
- गुरप्रताप सिंह वडाला
- मनप्रीत सिंह आयाली
- संता सिंह उमैदपुरी
- बीबी सतवंत कौर
अब तक क्या-क्या हुआ?
गुरप्रताप सिंह वडाला ने बताया कि:
- SAD ने अब तक 13 लाख से ज्यादा सदस्य बनाए हैं।
- पंजाब की 117 विधानसभा सीटों से चार-चार प्रतिनिधियों (delegates) को चुना गया है।
- इसके अलावा अन्य राज्यों और अंतरराष्ट्रीय स्तर से भी प्रतिनिधि शामिल किए गए हैं।
- अब ये सभी प्रतिनिधि 11 अगस्त को बैठक में मिलकर नए पार्टी अध्यक्ष का चुनाव करेंगे।
SGPC का रुख क्या है?
SGPC के मुख्य सचिव कुलवंत सिंह मंनन ने पुष्टि की कि उन्हें SAD की ओर से तेजा सिंह समुंदरी हॉल में बैठक के लिए अनुरोध मिला है। उन्होंने कहा कि यह पत्र Akal Takht के जत्थेदार को भेजा गया है, और जल्द जवाब आने की उम्मीद है।
सवाल उठते हैं…
SGPC की ओर से अनुमति मिलेगी या नहीं, ये अभी स्पष्ट नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि SGPC के अधिकांश सदस्य सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व वाले SAD के समर्थक माने जाते हैं। ऐसे में सवाल है कि क्या SGPC इस स्वतंत्र SAD समिति को अपना हॉल इस्तेमाल करने देगी।
हालांकि, समिति का दावा है कि वे किसी राजनीतिक मतभेद के तहत नहीं, बल्कि Akal Takht की धार्मिक और संस्थागत गरिमा के अनुसार काम कर रहे हैं।
यह पूरी प्रक्रिया न सिर्फ SAD के अंदर हो रहे बदलावों को दिखाती है, बल्कि SGPC, SAD और Akal Takht के रिश्तों में हो रही हलचलों की ओर भी इशारा करती है। अगर SAD का नया अध्यक्ष 11 अगस्त को चुना जाता है, तो यह पंजाब की राजनीति में एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है।